Monday, 11 June 2012

thought

काम करना important है पर काम करते हुए दिखना ज्यादा important हो गया है. इसलिए जो भी काम करो उसका शोर भी मचाओ.

Friday, 8 June 2012

माँ


माँ

अपने अंदर उन्हें ही पाता हूं
अंदर कहीं गहरे में प्रेम उभर रहा है
दिल में एक चमक सी है और
मेरी नसों में दौड़ रही हैं
उनकी सांसे और उनके आदर्श
मेरा यह शरीर
महसूस करता है उन्हें
अपने संपूर्ण में।

उनकी दैदीप्यमान उपस्थिति

उसके व्यक्तित्व से प्रेम
निकलता है और
चारों और फैलकर
मुझे अपने अंदर
समाहित कर रहा है
अपने दैदीप्यमान उपस्थिति से
मुझे भी आलोकित कर रहा है।

उनकी पवित्र खुशबू

मैं जब बैठती हूं
उनकी नेत्रों को देखता हूं
मेरे नेत्रों में आ जाती है
अनायास ही एक चमक
मेरे भीतर बढ़ती है
उनकी पवित्र महक शांति की भावना
मेरे दिलो-दिमाग में भरती है।



मेरे भीतर कहीं गहरे में

प्रतिक्षण महसूस होती है
उसकी उपस्थिति हैं कमरे में,
चुपचाप मुझसे कुछ कहती है
मेरे भीतर कहीं गहरे में।

कोई प्रत्युत्तर नहीं है

मैं उसे नहीं जानता
मैंने उसे देखा नहीं;
एक अनुभूति से धोखा होता है
पवित्र मंत्रोच्चार सा सुनाई देता है
मैं उसे ढूंढ़ता हूं, कोई प्रत्युत्तर नहीं है।



अवनी कुमार कर्ण

thoughts

The world really belongs to them who have the right words.